नॉमिनी और उत्तराधिकारी में क्या है अंतर? खातेदार की मौत के बाद बैंक खाते के पैसे या बीमा रकम का मालिक कौन
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनके ग्राहक अपने नॉमिनी को नामित करें। ऐसा करने से बिना दावे वाली जमा की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। ऐसे में आइए जानें नॉमिनी और उत्तराधिकारी में क्या अंतर है और बैंक के पैसों पर किसका हक होता है?
अक्सर लोग नॉमिनी और वारिस को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन सही मायनों में दोनों के मतलब ही नहीं अधिकार भी अलग-अलग हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, नॉमिनी किसी भी चल-अचल संपत्ति का मालिक नहीं होता है। वह केवल आपके पैसों का रखवाला होता है। वहीं, कानूनी उत्तराधिकारी वह होता है जो व्यक्ति के निधन पर उसकी संपत्ति प्राप्त करने का आधिकारिक रूप से हकदार होता है।
नॉमिनी को मालिकाना हक नहीं
कानून के जानकार बताते हैं कि कोई बीमा कंपनी की पॉलिसी में नॉमिनी हो या बैंक खाते में, नॉमिनी होना अपने आप में मालिकाना हक नहीं देता है। अगर खाताधारक ने किसी को नॉमिनी बनाया है या इंपॉलिसी में बीमाधारक ने किसी को नॉमिनी बनाया तो वह नॉमिनी सिर्फ लेनदेन की सहूलियत के लिए है। नॉमिनी होने का मतलब यह नहीं है कि वह शख्स उस बैंक खाते के पैसे या बीमा रकम का मालिक हो गया। अगर बैंक अकाउंट होल्डर ने कोई वसीयत नहीं की हुई है या बीमाधारक की कोई वसीयत नहीं है तो रकम तमाम कानूनी वारिसों में बराबर बंटेगी।
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कौन होता है उत्तराधिकारी?
संपत्ति के मालिक की मृत्यु के बाद उसके संबंधियों को संपत्ति सौंप दी जाती है। जन्म के साथ-साथ पैतृक संपत्ति पर उत्तराधिकार प्राप्त होता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार बेटा, बेटी, विधवा, मां क्लास-1 उत्तराधिकारी में आते हैं। वहीं, पिता, पुत्र व पुत्री का बेटा व बेटी, भाई, बहन, भाई व बहन की संतान क्लास-2 में आते हैं। अगर मृतक मुस्लिम है तो शरीयत कानून 1937 के हिसाब से संपत्ति का वारिस तय होगा। क्रिश्चियन के मामले में वारिस आमतौर पर भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 के तहत तय होता है। इसके तहत पति, पत्नी, बेटे और बेटियां वारिस माने गए हैं।
उत्तराधिकारी न हो, तब दावेदारी
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर किसी ने अपनी कमाई बैंक में जमा की हुई है और अकाउंट में किसी को नॉमिनी बना रखा है। मसलन अपने बड़े बेटे को नॉमिनी बनाया, लेकिन अपनी संपत्ति की वसीयत नहीं की है। अगर उस शख्स की मौत हो जाए तो नॉमिनी बैंक से पैसे तो निकाल सकता है, लेकिन मृतक के जितने भी क्लास-1 उत्तराधिकारी होंगे, उन सभी का पैसे पर बराबर का दावा होगा। उनका बाकी संपत्ति पर भी बराबर का हक होगा। अगर क्लास-1 उत्तराधिकारियों में से कोई नहीं हो तब क्लास-2 उत्तराधिकारियों में बंटवारा होगा।