लाजपतराय की शहीदी से आजादी की लड़ाई में आई क्रांति

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यमुनानगर हलचल। रादौर/क्रांतिकारी लाला लाजपतराय का बलिदान दिवस मंगलवार को इंकलाब मंदिर गुमथला राव में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर इंकलाब मंदिर की टीम व अन्य ग्रामीणो ने लाला लाजपत राय की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी और उनके जीवन से प्ररेणा लेकर देशहित में कार्य करने का प्रण लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मंदिर के संस्थापक अधिवक्ता वरयाम सिंह ने कहा कि लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ। इन्हे पंजाब केसरी भी कहा जाता था। उन्होंने हरियाणा प्रदेश के रोहतक व हिसार शहरों में वकालत की। बालगंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल के साथ इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्ही महान क्रान्तिकारियों ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की मांग की थी। बाद में समूचा आदेश इनके साथ हो गया। उन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया।

लाला हंसराज के साथ दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रचार भी किया। लाला लाजपत राय ने अनेक स्थानों में अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा की थी। लाहौर में साईमन कमीशन के विरोध आयोजित एक विशाल प्रर्दशन में हिस्सा लिया। इसी दौरान ब्रिटिश हकूमत द्वारा किए गए लाठी चार्ज में लाला लाजपतराय बुरी तरह घायल हो गए। घायल होने पर उन्होंने कहा मेरे शरीर पर पडऩे वाली एक-एक लाठी  ब्रिटिश सरकार के ताबूत मे एक-एक कील का काम करेगी।17 नवंबर 1928 को उनका देहांत हो गया। इस अवसर पर अवतार सिंह, गुरुनुर सिंह, एडवोकेट सर्वजीत सिंह, मोनू, प्रवीन व प्रवीण इत्यादि मौजूद थे।

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