अशोक चक्र टोपरा

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अशोक चक्र : टोपरा गांव में 30 फीट का देश का सबसे बड़ा अशोक चक्र है। जिसे 40 लाख रुपये की लागत से 12 कारीगरों ने छह महीने में बनाया। इसमें 6 टन लोहा और 3 टन अन्य सामग्री प्रयोग हुई थी। टोपरा गांव से इसका गौरव व पहचान 13वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक छीन ले गया था। लेकिन अब इसकी स्थाोपना से गांव का गौरव पुन: लौट आया है। इतिहास – सम्राट अशोक ने गुजरात की गिरनार की पहाड़ियों में इस स्तंभ को बनवाया था, जिसकी लंबाई 42 फीट व चौड़ाई 2.5 फीट है। इस स्तंभ पर प्राचीन ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा में लिखी गई उनकी सात राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं। देश का यह एकमात्र स्तंभ है, जिस पर सात राजाज्ञाएं खुदी हुई हैं। 1453 में फिरोजशाह तुगलक जब टोपरा कलां में शिकार के लिए आया तब उसकी नजर इस स्तंभ पर पड़ी। पहले वह इसे तोड़ना चाहता था, परन्तु बाद में वह इसे अपने साथ दिल्ली ले गया। यमुना के रास्ते इस स्तंभ को दिल्ली ले जाने के लिए एक बड़ी नाव तैयार की गई। स्तंभ पर कोई खरोंच न पडे़ इसके लिए उसे रेशम व रुई में लपेट कर ले जाया गया। टोपरा से यमुना नदी तक इसे ले जाने के लिए 42 पहियों की गाड़ी तैयार की गई थी, जिसे आठ हज़ार लोगों ने खींचा था। – यमुनानगर हलचल।

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