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Yamunanagar : श्री कपाल मोचन आदि-बद्री मेला 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक

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Yamunanagar : श्री कपाल मोचन आदि-बद्री मेला 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक

Yamunanagar Hulchul. बिलासपुर। कपाल मोचन, बिलासपुर से 3 किमी की दूरी पर एवं जगाधरी (जिला यमुनानगर) से 17 किमी की दूरी पर स्थित है। कपाल मोचन तीर्थ “सद्भावना, एकता और भाईचारे का प्रतीक” माना जाता है। कपाल मोचन मेला इस वर्ष 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक चलेगा। हर वर्ष इस मेले में लाखों भगत आते है। हरियाणा की धरती आदि काल से ही ऋषि-मुनियों की साधना एवं तप स्थली रही है। महर्षि दुर्वासा, महर्षि जमदग्रि, महर्षि भृगु, महर्षि च्यवन, महार्षि उद्दालक, महर्षि पिप्पलाद, महामुनि मयंक्शाक, महामुनि कपिल एवं महर्षि कृष्णा द्वैपायन आदि के आश्रम इसी प्रदेश में थे। वैदिक संस्कृति का उन्मेशस्थल ब्रहमवर्त (कुरूक्षेत्र) हरियाणा प्रदेश की दो देव नदियों सरस्वती एवं दृषद्ïवती के अन्तराल में ही स्थित था। ब्रहमवर्त में ही चैत्ररथ नाम का वह वन था, जिसका वर्णन महाभारत में भी मौजूद था। इसी के समीप सरस्वती के दूसरे किनारे पर औशनस नाम का सुप्रसिद्घ तीर्थ था। कपाल मोचन के नाम से प्रसिद्घ औशनस नामक इस तीर्थ में शुक्राचार्य ने तप किया था। शुक्राचार्य का नाम उशनस था। अत: यह स्थान उन्हीं की तपस्थली के नाम से अर्थात औशनस नाम से विख्यात हो गया। स्कन्ध महापुराण के अनुसार औशनस तीर्थ अर्थात कपाल मोचन द्वैतवन में स्थित था। द्वैतवन, जिसमें बद्री और सिंधु नाम के दो उपवन थे, पवित्र सरस्वती और यमुना नदी के मध्यवर्ती प्रदेश में स्थित था।

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