यमुनानगर (रादौर) । किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं जिला परिषद के पूर्व वाईस चेयरमैन खिला राम नरवाल ने कहा कि सरकार जो न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है उस हिसाब से किसानों को मंडियो में फसलो के भाव नहीं मिल रहे है। धान के लागत मूल्य को देखते हुए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रूपए की बढोत्तरी बहुत ही कम है।इससे किसानों का कोई भला होने वाला नहीं है। केन्द्र सरकार वायदे के मुताबिक किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के भाव दे। भाजपा सरकार को किसान विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को किसानों की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की ज्यादा चिंता है और किसानों से किए गए वायदे को चार साल बाद भी सरकार ने पूरा नहीं किया है। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण देश व प्रदेश का किसान लगातार कर्ज के बोझ दले दबता जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार धान के लागत मूल्य को कम दिखा रही है जबकि वास्तविक यह है कि धान की फसल को तैयार करने में लागत ज्यादा आ रही है। नरवाल ने कहा कि सरकार ने मक्का मक्की की न्यूनतम समर्थन मूल्य 1700 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया है, लेकिन मंडियों में किसानों की मक्का मक्की की फसल का भाव एक हजार रूपए प्रति क्विंटल तक मिला। जब तक मंडियों में किसानों की फसलों के बेचने की उचित व्यवस्था नहीं होती किसानों का भला नहीं हो सकता। यमुनानगर शूगर मिल में पिराई सत्र बंद हुए काफी दिन बीत गए है, लेकिन आज तक किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसानों के गन्ने का भुगतान तुंरत करवाया जाऐ।
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