यमुनानगर। पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी शिलांग द्वारा आयोजित “राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन” में जिले के लेखक ब्रह्मदत्त शर्मा को प्रतिष्ठित “डॉक्टर महाराजा कृष्ण जैन स्मृति सम्मान” से सम्मानित किया गया। मेघालय के राज्यपाल महामहिम गंगा प्रसाद ने उन्हें शॉल, समृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर यह सम्मान दिया। इस अवसर पर पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज, सचिव श्री अकेला भाई और प्रसिद्ध लेखिका उर्मि कृष्ण सहित अनेक विशिष्ट अतिथि मौजूद थे। श्री शर्मा को यह सम्मान उनके समग्र लेखन और साहित्यधर्मिता के लिए दिया गया है।
शिलांग में 25 से 27 मई तक चले इस कार्यक्रम में देश के 18 राज्यों के लगभग डेढ़ सौ कवियों, लेखकों और हिन्दी विद्वानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने तथा लेखकों के बीच आपसी भाईचारे को मजबूत बनाने के लिए किया किया गया था। कार्यक्रम के अंतिम दिन सभी लेखकों को मेघालय के विभिन्न पर्यटन स्थलों जैसे चिरापूंजी, जिसे संसार में सबसे अधिक वर्षा के लिए जाना जाता है तथा भारत-बांग्लादेश सीमा जैसे अनेक स्थानों की सैर भी कराई गई। देश भर के लेखक वहाँ से सुमधुर यादें लेकर लौटे हैं।
ब्रह्मदत्त शर्मा का जन्म 8 जून 1973 जिले के झींवरहेड़ी गाँव में हुआ। वे वर्तमान में सेक्टर 18 हुड्डा में रहते हैं और राजकीय माध्यमिक विद्यालय जटहेड़ी में शिक्षक हैं। अभी तक उनके दो कहानी संग्रह “चालीस पार” तथा “मिस्टर देवदास” प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी कहानियाँ देश की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। 2016 में प्रकाशित उनका उपन्यास “ठहरे हुए पलों में” खूब चर्चा में रहा है। उत्तराखंड त्रासदी पर आधारित यह उपन्यास उनके निजी अनुभवों पर आधारित है क्योंकि वे पन्द्रह दिन सपरिवार इस त्रासदी में फंसे रहे थे।इस उपन्यास पर उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय तथा हरियाणा व उत्तराखंड के राज्यपालों से प्रशंसा पत्र भी प्राप्त हो चुके हैं। साहित्य क्षेत्र में उन्हें अनेक सन्मान भी मिले हैं, जैसे हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता 2015 में चतुर्भुज कहानी को द्वितीय पुरस्कार, माँ धनपति देवी स्मृति कथा साहित्य सम्मान 2017 (सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश), अखिल भारतीय डॉक्टर कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार 2017(जयपुर), साहित्य सभा कैथल द्वारा श्री बृजभूषण भारद्वाज एडवोकेट स्मृति साहित्य सम्मान 2015 आदि प्रमुख हैं।
इसके अतिरिक्त श्री शर्मा समाज सेवा में भी योगदान देते हैं। वे ओनली डॉटर्स पेरेंट्स एसोसिएशन यमुनानगर के अध्यक्ष भी हैं। गुजरात के बाद यह देश की दूसरी ऐसी संस्था है जिसमें सिर्फ और सिर्फ बेटियों वाले परिवार ही शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य बेटियों वाले माँ-बाप को एक मंच पर लेकर आने का है, ताकि वे अपने आप पर गर्व कर सकें। साथ ही कन्याओं की सुरक्षा व उनके कल्याण हेतु सभी मिल-जुलकर प्रयास कर सकें। इसकी शुरुआत 50 परिवारों से हुई थी जो अब बढ़कर ढाई सौ परिवारों से भी ज्यादा तक पहुंच गई है और धीरे-धीरे बेटियों वाले परिवार इसमें जुड़ते ही जा रहे हैं। समय-समय पर इन सभी परिवारों के साथ मिलकर वे अनेक कार्यक्रम आयोजित करते हैं।