जगाधरी वर्कशॉप। श्री राधा कृष्ण सखा मंडल द्वारा करवाए जा रहे भक्तमाल कथा में कथा व्यास रविनंदन शाश्त्री ने कहा कि जब भगवान के आगे उनके भक्तों की प्रशंसा होती है तो भगवान को अत्याधिक प्रसन्नता होती है। जैसे माता पिता अपने बच्चे की प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होते हैं वैसे ही भगवान भी अपने लाडले बच्चों की प्रशंसा सुनकर प्रसन्न होते हैं। श्रोता वक्ता के ह्दय में भगवान की प्रसन्नता विराजमान हो जाती है। तब भजन मार्ग सुंदर तरीके से प्रशस्त होने लग जाता है। कलयुग के जीवों के लिए संतों ने निर्णय कर कहा है कि भगवान से भी अधिक यदि नाम लिया जा सकता है तो उनके भक्तों का। उन्होंने कहा कि भगवान के दास की चर्चा सममुच हमारे ह्दय की मलीनता को और पापों की जमी हुई काई को स्वच्छ करने में बहुत बड़ा योगदान देती है। महाराज कहते हैं कि लोगों का कहना है कि व्यपार के भीतर एक मिथ्या बन गई है कि झूठ के बिना गुजारा नहीं है। पाप के बिना गुजारा नहीं है मनुष्य कितना भी धर्म जगत से जुड़ा हो वह कह देता है कि महाराज झूठ के बिना गुजारा नहीं है। महाराज ने कहा कि झूठ किसको कहते हैं कोई झूठ की परिभाषा बताए। सच को छुपाने के लिए जो बोला जाए उसे झूठ कहा जा सकता है। मगर जिसकी कोई परिभाषा ही नहीं बनी उसके बोलने से काम कैसे चल सकता है। एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ और बोलने पड़ते हैं और सच के लिए कोई झूठ नहीं बोलना पड़ता। सत्य को साक्षात नारायण हैं। यदि सत्य को हम द्ढ्ता से पकड़ लें तो कितना अच्छा काम चल सकता है। महाराज कहते हैँ कि यदि पाप नहीं छोड़ सकते तो भगवान का भजन क्यों छोड़ा। हम किसी भी स्थिति में रहें कभी भी भजन को नहीं छोड़ना चाहिए। यदि मनुष्य सतसंग में कभी गलती से भी आ जाता है साधू का संग कभी अंजाने में भी हो जाता है। उसका सत् परिणाम जीवन में निश्चित रूप से मिलता ही है। इस लिए पाप ग्रस्त भी यदि जीवन है तो भी डटे रहिए। पता नहीं किस महापुरुष् के आंख की करुणा आपका कल्याण कर दे। जी जान से प्यार किजिए ठाकुर जी से जैसे शरीर को सांस की जरूरत है वैसे ही इस शरीर को सतसंग की भी जरूरत है। भगवान सेस प्रर्थना करनी चाहिए कि प्रभु ऐसा व्यवहार बना दो कि प्राण भी छूटे तो तेरा सतसंग सुनते हुए छूटे। भगवान कहते हैं कि जहां तेरा भक्त् वहीं मैं होता हूं। क्योंकि भगवान अपने भक्त से बहुत प्यार करते हैं।