Home जिले के समाचार मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल में बहरेपन की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन

मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल में बहरेपन की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन

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मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल में बहरेपन की रोकथाम और नियंत्रण के लिए कार्यशाला का हुआ आयोजन
यमुनानगर। मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल, यमुनानगर में बहरेपन की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत एक कार्यशला का आयोजन किया गया।  इस कार्यशला की अध्यक्षता डॉ. विजय दहिया चिकित्सा अधीक्षक, मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल, यमुनानगर कम् नॉडल ऑफिसर, बधिरता कार्यक्रम, यमुनानगर के द्वारा की गई।  इस कार्यशला का मुख्य उदेश्‍य जिले के सभी चिकिसकों को जिले में पैदा होने वाले बच्चों में बहरेपन की पहचान, जॉंच व समय पर उपचार था।  इस अवसर पर डॉ. दहिया ने सभी चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि कुछ बच्चों में बधिरता जन्म के समय से ही होती है तथा समय पर उपचार ना होने के कारण यह हमेश के लिये हो जाती है।  डॉ. दहिया ने चिकित्सकों से अनुरोध किया की जन्म के समय ही बच्चे की पूर्ण रूप से जॉंच कर लें क्योंकि बच्चे के माता पिता को इसका पता ही नहीं चलता और बच्चे के बडे होने के बाद इसका उपचार करना सम्भव नहीं हो पाता।  यदि चिकित्सक समय पर बच्चे की जॉंच व उपचार करें तो नवजात को बहरेपन से बचाया जा सकता है और यदि किसी भी चिकित्सक को इस प्रकार का संदेह हो तो उस मरीज को सिविल अस्पताल यमुनानगर में रैफर करें ताकि उसका पूर्ण व उचित उपचार हो सके। इस अवसर पर डॉ. छवि मेहता, नाक-कान विषेश्‍ज्ञ, सिविल अस्पताल, यमुनानगर ने बहरेपन पर सभी चिकित्सकों को प्रैजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी तथा बताया की कान की स्वच्छता कैसे की जाये तथा बताया की कान में तेल या किसी भी प्रकार की नुकिली चीज डालने से कान के परदे को नुकसान हो सकता है तथा व्यक्ति बहरा भी हो सकता है।  डॉ. छवि ने बताया की यदि किसी व्यक्ति का कान बहता है और उसमें से मवाद आती है तो उसे तुरन्त किसी चिकित्सक को दिखाना चाहिये व उचित उपचार कराना चाहिये।  उन्होने यह भी कहा कि गर्भावस्था के समय बिना चिकित्सक की सलाह के दवाई लेने से होने वाले बच्चे में विकलांगता व असमानता आ सकती है। अतः उन्होने सभी चिकित्सकों को कहा कि यदि कोई महिला गर्भावस्था में आती है तो उसे इन कारणों से अवगत करायें।  अंत में डॉ. छवि ने कानों की देखभाल व होने वाले संक्रमणों के बारे में जानकारी दी एवम् श्रवण सूरक्षा के बारे में बताया।  इस अवसर पर डॉ. पूनम चौधरी (चिकित्सा अधीक्षक, सिविल अस्पताल, जगाधरी), डॉ. राजेश परमार, डॉ. कपिल कम्बोज, डॉ. गौरव, डॉ. जेनेश, डॉ. शिखा बंसल आदि उपस्थित रहे।