कोविड ने सब बर्बाद कर दिया, किसानों को सरकार से उम्मीद

#यमुनानगर_हलचल कोरोना वैश्विक महामारी के चलते हुए लॉक डाउन ने देश के कई कोनो में पहुंचने वाली हरियाणा के यमुनानगर के खरबूजे की मिठास जिले में या किसान के खेत मे सड़ने तक ही सीमित रह गई है. कभी इस खरबूजे की कीमत बाजार में 30 से 35 रुपये किलो तक होती थी. और आज इन किसानों के अनुसार 10 से 15 रुपए में ये खरबूजा बिक रहा है. और इसकी लागत भी पूरी नही हो रही. किसान रमनजीत सिंह ने बताया कि  बडे-बडे पैकेज की घोषणाएं तो सरकार कर रही है. लेकिन उसका फायदा तब होगा जब उन्हें ग्राउंड लेवल पर कोई मदद मिलेगी. हालांकि बागवानी विभाग ऑनलाइन  खरबूजे बिकवाने में उनकी मदद कर रहा है..

किसान रमनजीत सिंह ने बताया कि बाहर से इस खरबूजे के बीज को किया जाता है इंपोर्ट. और 6 महीने की मेहनत के बाद ये रस भरा खरबूजा दिल्ली, पानीपत और खासकर चंडीगढ़ के होटलों में अपनी मिठास का जलवा बिखेरता था. लेकिन लॉक डाउन के चलते आज होटल बंद है और इन खरबूजों की मिठास या तो लोकल मंडी और या फिर खेतो में सड़ रही है. इस खरबूजे की खेती करने वाले किसान जो कभी इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाया करते थे. आज उनकी लागत भी पूरी नही हो रही. खेतो में ही ढेर लगे है. इसी उम्मीद पर ये किसान देखभाल कर रहे है. कि शायद इनकी फसल पहले की तरह एक बार फिर बिके लेकिन एक तो लॉक डाउन  दूसरा बार-बार बदलता मौसम इन पर संकट के बादल की तरह मंडरा रहा है..

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फल सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसान रमनजीत सिंह ने बताया कि कोविड 19 ने बहुत बुरे हालात बना दिये. नवंबर 2019 से हम  मेहनत कर रहे थे बाहर से बीज को इंपोर्ट किया इसकी सीड लिंक तैयार की  लो टनल में लगाया मल्चिंग लगाई ड्रिप सिस्टम लगाया. इसके अंदर हमने बहुत खर्चा किया. लेकिन कोविड नाइन के कारण हमारा सारा सिस्टम बर्बाद हो गया. हमारा उत्पाद इतना अच्छा होने के बाद भी इसकी सेल बिल्कुल भी नहीं हो रही. जो हम जो हमारा खरबूजे का माल चंडीगढ़ पानीपत, दिल्ली मंडी में 30 से 35 किलो बिकता था. अब यह खेत में खराब हो रहा है. कभी लोकल मंडियों में भेजते हैं. कभी अगर बाहर भेजने की सोचते हैं तो मीडिया बंद हो जाती है. माल वहीं सड़ता रहता है. मंडी के अंदर ग्राहकों को आने नहीं दिया जाता. बहुत ज्यादा समस्या आ रही है. कोरोना के कारण हमारी फसल पूरी बर्बाद हो रही है. हमें लागत भी पूरी नहीं हो रही. हम बहुत ज्यादा घाटे में जा रहे हैं. इतना मंदा आज तक नहीं देखा मौसम की तकनीकी खराबी की वजह से एक दो साल समस्या आई. लेकिन इतना बुरा वक्त नही देखा पिछले 9 साल से मैं सब्जियों का काम कर रहा हूं. आज ये हालत है कि लागत भी पूरी नही हो रही अपने डिस्ट्रिक्ट में इस प्रकार  मैं ही केवल एक  किसान हूं. अब हमने  चार लोगों का ग्रुप बनाया है. हम ग्रुप में काम कर रहे हैं. हमारी टोटल एक्सपोर्ट क्वालिटी का प्रड्यूस है. जितने भी सब्जियां हम उगाते हैं जिसमें खरबूजा है. कि रहे तरबूज है हमारी मेन मंडी चंडीगढ़ में और सारी सप्लाई में होटलों के अंदर है.

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किसान रमनजीत सिंह का कहना है कि  सरकार घोषणाएं तो बहुत करती है.  लेकिन ग्राउंड लेवल पर कोई मदद हमारे पर पहुंच पाएगी यह मुझे नहीं लगता.   20 लाख करोड़ का पैकेज तभी सार्थक होगा जब हम तक मदद पहुँच पाए तक पहुंच पाएगी. लेकिन कोई उम्मीद नहीं है. बहुत मेहनत के बाद अच्छा खासा इन्वेस्टमेंट करने के बाद ये खरबूजे की फसल तैयार होती है. लेकिन कोविड ने सब बर्बाद कर दिया.  हमे फल सब्ज़ियों की खेती छोड़ कर ,व्हीट, पेड्डी की तरफ ही जाना पड़ेगा. उसकी खरीद भी सरकार पूरा करती है. लेकिन फल सब्ज़ियों वाले किसान के बारे कुछ नही सोचती सरकार. प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख का नुकसान हो रहा खरबूजे की फसल में. पोली हाउस का खीरे के जो कभी अच्छे दाम मिलते थे आज वो भी 5 रुपए तक रह गया है. आज हमे 3 समस्याएं आ रही है एक कोविड 19, दूसरा मौसम के बदलते हालात, तीसरा मंडी में बिल्कुल सेल नही हो पा रही है. इतना अच्छा माल होने के बावजूद भी आज बहुत बुरे हालात है..

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वही किसान सचिन ने बताया कि इस बार नुकसान बहुत ज्यादा हो रहा है. जितना भी प्रड्यूस कर रहे हैं. खेत में पड़ा हुआ खराब हो रहा है. मंडी में कोई खरीदने वाला नहीं है. लागत भी पूरी नहीं हो रही इस बार. हरियाणा सरकार से उम्मीद है कि कुछ न कुछ हमारी मदद की जाए. ताकि हमारी कम से कम लागत पूरी हो जाए. हम ज्यादातर चंडीगढ़ होटल में सप्लाई थी लेकिन होटल सब बंद पड़े हैं. जिसके कारण कोई भी खरीदार नहीं है. मंडी में खरीदारी नहीं हो पा रही मंडी ठीक से नहीं चल रही. आढ़ती भी नहीं आते ठीक से. ऊपर से स्टिकनेस बहुत ज्यादा है. इसलिए हमारा माल नहीं बिक पा रहा. अब देखना होगा कि क्या इन्हें कोई मदद मिलेगी या देश के कोने कोने में जाने वाले इस खरबूजे की फसल को यही खेत मे सड़ना पड़ेगा. फिलहाल इन किसानों को सरकार से काफी उम्मीद है कि इस मुसीबत के समय मे सरकार इनका हाथ थामे ताकि इनका नुकसान की कुछ भरपाई हो सके. वही दुनिया भर को अपनी चपेट में लेने वाली वैश्विक महामारी से हम सब उभरे हर कोई यही प्रार्थना कर रहा है. ताकि फिर से पटरी पर सब कुछ पहले की तरह आये और सब कुछ सामान्य हो. लेकिन कैसे होंगे आगे हालात ये तो आने वाला समय ही बताएगा..

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Author: Yamunanagar Hulchul

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