श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन चैताल्य में क्षमावाणी पर्व पर हुई विशेष धर्म सभा

क्षमा से होती है मानसिक शांति की उत्पत्ति- डा. रमेश
यमुनानगर। माडल कालोनी श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन चैताल्य के प्रांगण में जिला स्तर पर युवा मण्डल व सकल जैन समाज के सौजन्य से क्षमा वाणी पर्व शुभावसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष जैन ने कि तथा मंच संचालन दीपा जैन व भावना जैन ने किया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटिका, नृत्य, भजन तथा भाषण का प्रदर्शन किया गया।
2 h 2सलोचना जैन व कविता जैन ने सुन्दर भजनों की प्रस्तुति दी। क्षमा का महत्व बताते हुये बाल ब्रह. सुनीता दीदी ने कहा कि क्षमा का अर्थ तो हृदय में किसी प्रकार की मन की मलीनता व गुत्थी का न होना है। यह अंतरमन को शुद्ध होने का एहसास कराती है। क्षमा मांगना व दूसरों को क्षमा करना कोई असान काम नहीं है। ाारतीय जैन मिलन के वरिष्ठ क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आर. के. जैन ने संबोधित करते हुये कहा कि मुनि श्री तरुण सागर जी की 51 वर्ष की उम्र में मृत्यु ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि जीवन में कुछ भी तय नहीं है। पर्युषण पर्व का शुभार भ क्षमा धर्म से होता है, और समापन भी क्षमावाणी पर्व से किया जाता है। कहीं पर भी अल्प त्रुटी हो जाये तो तुरंत क्षमा मांग लेनी चाहिये, अन्यथा एक गलती की छोटी सी चिन्गारी महाविनाश का कारण बन सकती है। क्षमा जीवन की महानता का परिचायक है। क्षमा आत्म दर्शन का दिव्य दर्पण है।
03.jpgक्षमावान दूसरों की भूलों पर ध्यान दिया बिना, शक्तिवान तथा शक्तिहीन का अंतर न करते हुये अपने कोमल हृदय से क्षमा को स्वीकार करता है। डा. रमेश जैन ने बताया कि क्षमा करने से बड़ा कोई दान नहीं है, जो सबसे पहले क्षमा मांगता है वह सबसे बहादुर व्यक्ति होता है। क्षमा से मानसिक शांति की उत्पत्ति होती है। क्षमावान कोमल ह्रदय से क्षमा को स्वीकार करता है। जिस प्रकार कीचड़ से कीचड़ को साफ नहीं किया जा सकता है, उसी प्रकार क्रोध से क्रोध को खतम नहीं किया जा सकता है। क्षमा विकास का द्वार है। जिस प्रकार पृथ्वी के माध्यम से सभी वस्तुओं की उत्पत्ती है उसी प्रकार सभी धार्मिक पर्व क्षमा के धरातल पर ही टिके है। क्षमा पर्व अत्मा को पवित्र व शुद्ध करता है। हृदय में निर्मलता का प्रवेश कर पापों से बचाता है तथा आत्मा को पुण्य का संचय करा कर पवित्र बनाता है। धन्य है वह मोक्ष पंथी जो सब कुछ त्याग देने के बाद भी क्षमा का परित्याग नहीं करते, क्षमा आत्मा का गुण है और यह तीनों लोकों में महत्वपूर्ण है। सुभाष जैन कहा कि क्षमा ऐसा माध्यम है जो कि वर्तमान समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। हम जिस आधुनिक समय में रह रहे है, वहां इस सभी नियमों का पलन करना कठिन हो गया है, लेकिन अपनी आत्मा की शुद्धि व अच्छे परिणाम पाने के लिये हम सभी को माह में कम से कम एक बार नियमों का पालन करना चाहिये। सुमत प्रसाद जैन कहा कि क्षमा धारण करने से सभी सांसारिक व्याधियों से बचा जा सकता है। क्षमा से कलुष्ता, कलंक व मल धोने में सफल हो सकते है। क्षमा के माध्यम से अनन्त काल तक अनन्त सुख प्राप्त किया जा सकता है। पुनीत गोल्डी जैन आये हुये अतिथियों का स्वागत कर धन्यवाद किया। कार्यक्रम में गिरीराज स्वरूप जैन, दीपक जैन, अजय जैन, आनंद जैन, गौतम जैन, जितेन्द्र जैन, मुकेश जैन, अनिल जैन, संजीव जैन, सुशील जैन, गौरव जैन, मंजू जैन, मनोकामना जैन, अंकित जैन, अनीता जैन आदि जैन समाज के व्यक्तियों, महिलाओं तथा बच्चों ने भाग लिया।

Yamunanagar Hulchul
Author: Yamunanagar Hulchul

Yamunanagar Hulchul is a Digital Directory of District Yamunanagar.

Previous articleफसल अवशेष प्रबंधन के लिए हरियाणा में खर्च होंगे 215 करोड़ : विधायक 
Next articlePM को भिजवाया एफडीआई से व्यापारियों को होने वाले नुकसान का ब्यौरा