Home स्कूल | कॉलेज मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दारोगा’ के नाट्य मंचन की तैयारियों में जुटे स्टूडेंट

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दारोगा’ के नाट्य मंचन की तैयारियों में जुटे स्टूडेंट

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दारोगा’ के नाट्य मंचन की तैयारियों में जुटे स्टूडेंट
यमुनानगर! कैंप स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दारोगा’ के नाट्य मंचन की तैयारियां की जा रही हैं। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा के निर्देशन में विद्यार्थी विवेकानंद, श्याम कुमार, राम कुमार, अमित कुमार, रोनिश व बिट्टू गत कईं दिन से रिहर्सल कर रहे हैं और नाटक के गुर सीख रहे हैं। प्रधानाचार्य परमजीत गर्ग ने अभ्यास कर रहे विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया और स्कूल में आयोजित होने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
अरुण कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेमचंद हिन्दी साहित्य के एक महत्वपूर्ण कथाकार हैं। उन्होंने हिन्दी कहानियों और उपन्यासों को तिलिस्म और झूठी कल्पनाओं से निकाल कर जीवन की सच्चाइयों से जोडऩे की क्रांतिकारी भूमिका निभाई। उनकी कहानियों में हमें गांव के किसान, मजदूर, व्यापारी, जमींदार सहित विभिन्न पात्र और परस्पर संबंध जीवंत हो उठते हैं। उनकी रचनाओं से अंग्रेजी सरकार और भारतीय राजे-रजवाड़े कांपते थे तथा गरीब, वंचित वर्ग को ताकत मिलती थी। उनकी पंच परमेश्वर, बड़े भाई साहब, गुल्ली डंडा, दो बैलों की कथा, सद्गति, पूस की रात, कफऩ, सवा सेर गेहूं सहित कितनी ही कहानियां भारतीय साहित्य में सतत चर्चाओं में बनी रहती हैं। उन्होंने कहा कि नाटक के क्षेत्र में कहानियों के रंगमंच की परंपरा काफी पुरानी हो चली है। नाटक करने वाले प्राय: ही कहानियों का चयन करते हैं और कहानियों का नाट्य रूपांतरण करते हुए अपनी रचनात्मक ऊर्जा का प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद की नमक का दारोगा कहानी 11वीं कक्षा की हिन्दी की पाठ्य पुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित है। कक्षा 11वीं और 12वीं में कहानी का नाट्य रूपांतरण भी सिलेबस का हिस्सा है, जिसे विद्यार्थियों के साथ मिलकर प्रैक्टिकल रूप में किया जा रहा है।
नाटक निर्देशक अरुण कैहरबा ने बताया कि नमक का दारोगा कहानी हमारी व्यवस्था के भ्रष्टाचार का उजागर करती है। भ्रष्टाचार और ईमानदारी को संघर्ष को कहानी में पिरोया गया है, जिसमें मुंशी वंशीधर, पंडित अलोपीदीन आदि की भूमिकाओं को निभाने के लिए विद्यार्थी संघर्ष कर रहे हैं। कहानी का रंगमंच तैयार करके शीघ्र ही इसका मंचन किया जाएगा।