Home धर्म | समाज मनुष्य पर संगती का पड़ता है बहुत गहरा असर – उपाध्याय

मनुष्य पर संगती का पड़ता है बहुत गहरा असर – उपाध्याय

0
मनुष्य पर संगती का पड़ता है बहुत गहरा असर – उपाध्याय

जैन मुनि के प्रवेश पर किया भव्य अभिनन्दन
यमुनानगर। श्री महावीर दिग बर जैन मंदिर रैस्ट हाऊस रोड के प्रांगण में उपाध्याय परमेष्ठी मुनि श्री नयन सागर जी महाराज के प्रवेश पर जिला जैन समाज के द्वारा भव्य अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान अजय जैन ने की तथा संचालन महामंत्री पुनीत गोल्डी जैन ने किया। मंदिर संरक्षक गिरिराज स्वरूप जैन, आर. के. जैन व एस. पी. जैन विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रवेश पर महिलाओं द्वारा पदप्रक्षालन करके महाराज श्री की आरती उतारी गई। इसके उपरांत श्रद्धालुओं द्वारा महाराज श्री के स्वागत में भक्ति कार्यक्रम में भजन व गीत प्रस्तुत किये गये। मुनि श्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य का समय कभी अच्छा आता है तो कभी बुरा, लेकिन मनुष्य अच्छे समय में अपने आनंदमय कार्यों को करने लगता है और धर्म प्रभावना को छोड़ देता है। अपने दैनिक कार्यों की सूची में स्र्वप्रथम मंदिर जाना छोड़ देता है और कहता है कि मुझे समय नहीं मिला। इसके विपरीत यदि कोई मनोरंजन कार्यक्रम होता है तो वह वहां जरूर पहुँचता है, चाहे वह बीमार ही क्यों न हो। जब मनुष्य का बुरा समय आता है तो वह सारा दोष भगवान को देता है और कहता है कि भगवान की ऐसा ईच्छा थी।
उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य पर संगती का बहुत गहरा असर पड़ता है। बुरे मनुष्य का अच्छे मनुष्य पर बहुत जल्दी प्रभाव पड़ जाता है वह गलत कार्यों में लग जाता है, लेकिन अच्छे मनुष्य की संगती में सदा कल्याण कार्य ही करता रहता है। इस बात से यह देखने में आता है कि मनुष्य को साकारात्मक विचार रख कर जीवन में आगे बढऩा चाहिये और नाकारत्मक विचारों से बचना चाहिये। अपनी प्रवचन श्रंखला को आगे बढ़ाते हुये उन्होंने कहा कि जब चन्दबाला का समय खराब आया और वह अपने घर पहुँची तो उसके पिता ने दरवाजा बंद कर दिया, लेकिन कुछ समय बाद उसका अच्छा समय आया तो बहुत से लोग उसके घर पहुँचे। उन्होंने बताया कि भगवान आदिनाथ संदेश देते है कि ऋषि बनो या कृषि करो। इसी संदेश को भगवान महावीर ने कहा कि जियो और जीने दो। ऋषि बनना स्वयं जीना है और कृषि करना दूसरों को जीवन दान देना है। जो स्वयं जीना सीख गया वह ऋषि बन जाता है, और जो दूसरों के हित में जीना सीख गया वह किसान बन जाता है। उन्होंने आगे कहा कि ागवान महावीर नारी के उद्धार की बात करते है और चन्द बाला के हाथ से भोजन ग्रहण करते है जिससे उसकी काया बदल जाती है। इस अवसर पर भारी सं या गणमान्य व्याक्ति, महिलाओं व बच्चों ने भाग लिया।
जिले के कोने-कोने की खबरों के लिए क्लिक करें : www.yamunanagarhulchul.com