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पश्चिमी यमुनानगर में पानी छोडने से पक्के घाट को नुकसान

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पश्चिमी यमुनानगर में पानी छोडने से  पक्के घाट को नुकसान
पश्चिमी यमुनानहर के पक्के घाट को पानी से बचाने के लिए लगाए गए मिटटी के कटटे। 
यमुनानगर (रादौर)। पश्चिमी यमुनानगर में पानी छोडे जाने के बाद शहर के पक्के घाट को काफी नुक्सान पहुंचा है। घाट को पानी के बहाव से बचाने के लिए नहरी विभाग की ओर से मिटटी के कटटे लगाए गए है। अस्थाई रूप से मिटटी के कटटे लगाकर लाखों रूपए की लागत से बनाए गए घाट को बचाने की कौशिश की जा रही है। लेकिन यदि नहर में ओर पानी छोडा गया तो मिटटी के कटटों से घाट को बचाना संभव नहीं होगा। पक्के घाट पर नहरी विभाग द्वारा पेंचिग न किए जाने से शहर के प्राचीन व प्रसिद्ध पक्के घाट का आस्तित्व पुरी तरह से खतरे में पडता नजर आ रहा है।  स्थानीय निवासी संदीप कुमार, रामकुमार, मीतू सैनी, जसविन्द्र सिंह,रोशनलाल, कुलदीप सिह ने बताया कि कुछ महीनों पहले नगरपालिका रादौर द्वारा लाखों रूपए खर्च कर शहर के पश्चिमी यमुनानहर के किनारे स्थित पक्के घाट का निर्माण करवाया गया था। लेकिन नहरी विभाग द्वारा पक्के घाट की सुरक्षा को लेकर ठोस उपाय नहीं किए गए। नहरी विभाग द्वारा पक्के घाट के आसपास के क्षेत्र की मजबुती से पेंचिग की जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब जब नहर में पानी छोडा गया तो पक्के घाट के सात लगती मिट्टी पानी में बह गई हेै। इससे अब पक्के घाट की दीवारें व सीढियां भी पानी में बह सकती है। विभाग की लापरवाही के कारण घाट की सीढियों के साथ लगती मिटटी पुरी तरह से पानी में बह चुकी है। अब नहर में ओर पानी छोडे जाने पर घाट की सीढियां भी पानी की चपेट में आकर टूटकर बह सकती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि घाट की सीढियों के साथ पत्थर या सीमेंट से ठीक प्रकार पेंचिग की जानी चाहिए थी। इससे घाट मजबुत होता और घाट का आस्तित्व खतरे में न पडता। स्थानीय लोगों ने इस बारे मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर पक्का घाट बनाने के कार्यो की विजिलेंैस से जांच करवाने की मांग की है।