आत्मा और परमात्मा का एक हो जाना ही मुक्ति है: श्री सुरजीत सिंह ’नशीला’

यमुनानगर। धर्मशास्त्रों के अनुसार बिना साकार के ज्ञान सम्भव नही है। सभी ग्रंथ ऐसी चाबियां है, जिनसे प्रभु के असीम घर का ताला खोला जा सकता है। चाबी लगाने का तरीका केवल ब्रहमज्ञानी ही बता सकता है। प्रभु को साक्षात्कार कराने के लिए ही साकार महापुरूष की आवश्यकता होती है।
yamunanagarhulchul satsang 2
उक्त विचार दिल्ली से आए कवि महात्मा सुरजीत सिंह ’नशीला’ ने स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मानव जीवन एक कर्मभूमि है। इसमें जैसा भी कर्मरूपी बीज डाला जाता है, वैसा ही फल काटने को मिलता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ’माया मरी न मन मरा, मर-मर गया शरीर, आशा, तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर’। मन व पानी का स्वभाव एक सा होता है दोनो ही हमेशा निचाई की तरफ जाते है। हमारी सोच हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए। होलिका को वरदान मिला था कि वो आग में नही जलेगी, जब वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठी तब प्रहलाद तो बच गए परंतु वो स्वयं जल गई। सोच गलत होने के कारण वरदान भी काम नही करते। उन्होंने कहा कि धर्म हमें जानवर से मनुष्य, मनुष्य से देवता बना देता है। मनुष्य को जीवन जीने का सलीका सिखाता है। भक्ति और प्रेम एक ही सिक्के के दो पहलु है।
उन्होेंने आगे बताया कि आत्मा और परमात्मा का एक हो जाना ही मुक्ति है। आत्मा जब तक अंधकार में है दो है। आत्मा ज्ञान, साधना व भक्ति द्वारा परमात्मा में इकमिक हो जाती है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म का दूसरा नाम परिवर्तन है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक आईंसटाईन ने कहा था जिस दिन मैने स्वयं को ज्ञानी समझा उस दिन मै आगे बढ़ना रूक गया। गुरसिख हर पल सिखता रहता है। गुरसिख हमेशा मर्यादा में रहता है। इस अवसर पर अनेक वक्ताआें ने अपने विचारों, गीतों व कविताओं के माध्यम से मिशन का सत्य संदेश दिया व मंच का संचालन जगाधरी के संचालक गुरनाम सिंह मान ने किया। सत्संग मे भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
yamunanagarhulchul satsang 1
Yamunanagar Hulchul
Author: Yamunanagar Hulchul

Yamunanagar Hulchul is a Digital Directory of District Yamunanagar.

Previous articleगुरू ग्रँथ साहिब के प्रकाश पर्व पर हुआ समागम
Next articleमैराथन धावक  केशव मानिक टाहला  को CM ने किया सम्मानित