Home जिले के समाचार हैल्थ केयर वर्कर बोर्ड के चेयरमैन डॉ ऋषिपाल सैनी ने किया प्रभावित गांवों का दौरा

हैल्थ केयर वर्कर बोर्ड के चेयरमैन डॉ ऋषिपाल सैनी ने किया प्रभावित गांवों का दौरा

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हैल्थ केयर वर्कर बोर्ड के चेयरमैन डॉ ऋषिपाल सैनी ने किया प्रभावित गांवों का दौरा

यमुनानगर / रादौर। रादौर क्षेत्र में आंधी तुफान व ओलावृत्ति से सबसे ज्यादा नुक्सान गांव झगुडी में हुआ है। गांव में लगभग सभी किसानों को 100 प्रतिशत ओलावृत्ति से नुक्सान हुआ है। नुक्सान के चलते शुक्रवार को गांव झगुडी में मातम छाया रहा। कई घरों में नुक्सान के चलते चुल्हे नहीं जले। रादौर क्षेत्र में अब तक का सबसे बडा नुक्सान झेलने वाले गांव झगुडी के लोग कुदरत के कहर से सन रह गए है। बरसात व ओलावृति से गांव झगुडी के हर किसान को हजारों से लाखों रूपए का नुक्सान झेलना पड रहा है। मामले को लेकर वीरवार को गांव के लोगों ने तहसीलदार रादौर को ज्ञापन देकर खराब हुई फसलों की गिरदावरी करवाने व मुआवजा दिए जाने की मांग की गई थी। लेकिन शुक्रवार को भी किसान अपनी खराब हुई फसलों की गिरदावरी किए जाने का इंतजार करते रहे, लेकिन देर शाम तक भी कोई पटवारी या अधिकारी उनकी खराब हुई फसलों की गिरदावरी करने गांव तक नहीं पहुंचा। जिससे प्रभावित किसानों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर भारी रोष देखा गया। उधर गांव झगुडी में वीरवार को भयंकर ओलावृत्ति के दौरान काफी संख्या में पक्षी भी इसका शिकार हुए है। गांव झगुडी की महिला सरपंच के पति पदमसिंह ने बताया कि ओलावृति से गांव में काफी संख्या में सफेद रंग के बुगुले, कऊऐ, गरसलियां भी मारी गई है। फसलों के साथ साथ पक्षी भी ओलों का शिकार हुए है। मरे हुए पक्षियों को गांव के जंगली जानवर खा रहे है। जिससे उन्हें बहुत दुख पहुंचा है। उन्होंने बताया कि तुफान का चक्रवात रादौर क्षेत्र के गांव झगुडी में था। जहां तुफान के चक्रवात से गन्ने व धान की पुरी फसले बर्बाद हुई है। उधर गांव के मास्टर सोमनाथ व उनके भतीजे राजपाल ने बताया कि उन्होंने गांव के राजेन्द्रसिंह से 35 एकड भुमि 43 हजार रूपए प्रति एकड के हिसाब से ठेके पर ली थी। जिसमें उन्होंने धान की फसल लाखों रूपए खर्च करके तैयार की थी। वीरवार की सुबह 6 बजे वह अपनी धान की फसल को कंबाईन से काटने के लिए खेत में पहुंचे थे। जैसे ही उन्होंने खेतों में खडी धान की फसल को काटने के लिए कंबाईन शुरू की तो तेज गति से बारिश होनी शुरू हो गई। तभी जोर से आंधी तुफान आया और उनकी पकी पकाई फसल को तबाह करके चला गया। बारिश व ओलावृति से उनकी पुरी फसल बर्बाद हो गई है। उनके पास खाने के लिए चावल की एक मुटठी तक नहीं बची है। फसल खराब होने से उनका परिवार गहरे सदमें में है। दो दिन से उनके घर में चुल्हा नहीं जला है। उन्होंने कर्ज लेकर भुमि ठेके पर ली थी। अब वह अपने परिवार का गुजारा कै से करेंगे, यह उनके लिए बडी समस्या खडी हो गई हेै।
हैल्थ केयर वर्कर बोर्ड के चेयरमैन मिलेंगे सीएम
चेयरमैन डॉ ऋषिपाल सैनी ने शुक्रवार को फसल प्रभावित गांव झगुडी, बैंडी, खजूरी, टोपरा, सागडी, खेडी, नगला साधान, मसाना रागडान का दौरा कर प्रभावित फसलों का निरीक्षण किया। इस दौरान डॉ ऋषिपाल सैनी ने बताया कि आंधी, तुफान व ओले पडने से सबसे ज्यादा मार गांव झगुडी में पडी है। जहां 100 प्रतिशत नुक्सान है। वह मामले को लेकर शनिवार को मुख्यमंत्री मनोहरलाल व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड से मिलकर क्षेत्र के किसानों के लिए मुआवजे की मांग करेंगे। उन्होंने बताया कि तुफान से किसानों की फसले पुरी तरह से तबाह हुई है। भाजपा सरकार दुख की इस घडी में क्षेत्र के किसानों के साथ है। किसानों क ो हुए नुक्सान की पाई पाई का मुआवजा दिलवाया जाएगा। मंडल प्रधान विनोद सिंगला ने बताया कि क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में बारिश व ओले पडने से नुक्सान हुआ है। वह हर गांव में जाकर नुक्सान का जायजा ले रहे है। जिसकी रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री को भेजी जा रही है। क्षेत्र के किसानों की फसल बर्बाद होने से हुए नुक्सान की रिपोर्ट सरकार तक भेजकर उनकी हर संभव मदद की जाएगी।
फसल खराब होने पर किसान मनाएंगे काली दीवाली व दशहरा – क्षेत्र में बारिश व ओले पडने से किसान गहरे सदमें में है। किसानों की सितंबर में हुई भारी बारिश से धान की फसले बर्बाद हो गई थी। लेकिन अब अक्टूबर में हुई भारी बारिश, तुफान व ओलावृत्ति से तो किसानों की पुरी तरह से कमर टूट गई है। मामले को लेकर भारतीय किसान यूनियन की ओर से प्रदेश संयोजक बाबुराम गुंदयाना व जिला प्रधान संजू गुंंदयाना ने कहा कि फसले बर्बाद होने से इस बार किसान न तो दशहरा मनाएगे और नही दीवाली मनाएगे। किसान अपने परिवारों के साथ रहकर काली दीवाली मनाएगे। उन्होंने कहा कि जब किसानों के पास खाने के लिए भी दाने नहंी रहे तो उनके लिए कोई त्यौहार कैसे मनाया जा सकता है। फसले बर्बाद होने पर अब वह सरकार की ओर अच्छा मुआवजा मिलने का इंतजार कर रहे है। यदि समय पर मुआवजा मिला तो किसान गेहूं की बिजाई समय पर कर सकेंगे। अन्यथा किसानों को अगली फसल के लिए आढती से कर्जा उठाना पडेगा।