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फसल अवशेष का संरक्षण तथा पुनर्चक्रण आवश्यकः डॉ. बाजपेयी

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फसल अवशेष का संरक्षण तथा पुनर्चक्रण आवश्यकः डॉ. बाजपेयी
यमुनानगर। महाराजा अग्रसैन महाविद्यालय, जगाधरी में एन.एस.एस. यूनिट द्वितीय द्वारा स्वयंसेवी छात्राओं को जागरूक करने के लिए  फसल अवशेष को जलाने के दुष्प्रभाव पर निबंध प्रतियोगिता तथा पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन  किया गया। इस प्रतियोगिता की अध्यक्षता  कार्यक्रम अधिकारी डॉ.राखी ने की। कॉलेज प्राचार्य डॉ. पी.के.बाजपेयी जी ने स्वयंसेवी छात्राओं को बताया कि आध्ुानिक यंत्रों से फसल अवशेष को अगली फसल के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राखी ने बताया कि हैप्पी सीडर और स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम जैसी तकनीकों के साथ भूमि को और उर्वरक बनाया जा सकता है। स्वयंसेवी छात्राओं ने पोस्टर के माध्यम से किसानों द्वारा पंजाब, हरियाणा में फसल अवशेष को जलाकर प्रदुषण को बढ़ावा देते हुए दिखाया तथा निबंध में इसके बचाव भूमि को जलाने की बजाय पुरानी फसल के अवशेष को नई उपज के उगाने में सहायता हेतु अत्पादक सामग्री बताया तथा मौके पर मौजूद डॉ. करूणा, प्रौ. संजीव, प्रौ. कमल तथा शिल्पी  ने इसे अगामी पीढ़ी के लिए बहुत खतरनाक  बताया।  स्वयंसेवी छात्राओं ने अपने निबंध के माध्यम से किसानों की आय से सम्बधित  परेशानियों तथा उपज से सम्बंधित  विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला। अंत में कॉलेज प्राचार्य ने स्वयंसेवी  छात्राओं को साधारण जनता को इस विषय पर शिक्षित करने, संचार करने  तथा जागरूक करने के लिए प्रेरित किया।