प्रार्थना में अहंकार को तोडने की शक्ति है : आचार्य भगवती प्रसाद शुक्ल

यमुनानगर (रादौर)। श्री राधाकृष्ण मंदिर रादौर में चल रहे श्री व्यास पुर्णिमा महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को भी श्रीमदभागवत कथा का आयोजन किया गया। भागवत कथा में सैकडों श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। कथा वाचक आचार्य पंडित भगवती प्रसाद शुक्ल ने कहा कि श्रीमदभागवतकथा के दशम स्कंध की श्रीकृष्ण कथा सुनाते हुए कहा कि प्रार्थना निजी होती है न तो सिखावट की जरूरत होती है, न किसी तैयारी की,  परमात्मा से कुछ छिपा नहीं है। प्रार्थना तो हृदय की भाषा है। व्याकरण की कोई जरूरत नहीं केवल भाव चाहिए। भाव तो नि:शब्द से उठी लहर होती है, वही तो हृदय का गीत है। प्रार्थना में अहंकार को तोडने की शक्ति है। प्रार्थना से पोजिटिव थिकिंगथेरेपी घटित होती है। यानी मस्तिष्क कोशिकाये प्रभावित होती है और रोग क्षमता बढती है। प्रार्थना करने से शरीर का रक्तचाप सामान्य रहता है। प्रार्थना व्यक्ति को परम सत्ता के नियमों के अनुकूल कर देती  है। सभी अव्यवस्थाओं में उसका सुमिरण होने लगे, हर घडी उसकी याद आने लगे, हर कर्म उसको समर्पित हो जाए, वही सच्ची प्रार्थना हेै। जो मांगना छोडकर प्रार्थना करता है वहीं परमात्मा को पा सकता है। जीवन में ईश्वर का प्राकटय हो जाना, ईश्वर से आत्मीयता का संबंध बन जाता है। इस अवसर पर अश्वनी गुप्ता, संजीव शर्मा, रविन्द्र शर्मा,पंडित संजय शर्मा, संजीव चौहान, राकेश सिंगला, पंकज कुमार, विनोद सोनी, प्रदीप शर्मा आदि मौजूद थे।

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Author: Yamunanagar Hulchul

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