Home धर्म | समाज दशलक्षण पर्व समापन पर निकाली गजरथ यात्रा 

दशलक्षण पर्व समापन पर निकाली गजरथ यात्रा 

0
दशलक्षण पर्व समापन पर निकाली गजरथ यात्रा 

1950 में की गई थी मंदिर की स्थापना, आज के समय में है पूर्ण सक्षम
यमुनानगर। दशलक्षण पर्व समापन के पश्चात श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर रैस्ट हाऊस रोड के प्रांगण में बा. ब्र. सुनीता दीदी के सानिध्य में वार्षिक भव्य समारोह मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षत प्रधान अजय जैन ने की तथा संचालन महामंत्री पुनीत गोल्डी जैन ने किया। मंदिर संरक्षक सुमत प्रसाद जैन, आर. के. जैन, सुभाष जैन व गिरीराज स्वरूप जैन विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मंच संचालन मुकेश जैन व दीपा जैन ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर चित्र अनावरण से किया गया। मंदिर संरक्षकों को विशेष उपाधी से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिला के बाहर से जैन समाज के गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।
एस. पी. जैन ने कहा कि इस प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन से सामाज में धार्मिक भावन पैदा होती है और समाज का उद्धार होता है तथा परिवार में संस्कार आते। युवा मण्डल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। नाटिका में किसान द्वारा खेत में काम करते हुये प्रभु जी की प्रतिमा प्राप्ती के बारे में प्रस्तुति दी गई। सुन्दर भजन, संगीत, नृत्य आदि  प्रस्तुत किये गये, जिनको श्रद्धालुओं ने बड़ा सराहा। श्री जी के रथ पर बैठने के लिये लक्की ड्रा से चुनाव किया गया।
उन्होंने मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डाला और बताया कि मंदिर जी की स्थापना 1950 में की गई, और समय के अनुसर विकास होता चला गया। आज के समय में मंदिर पूरी तरह से सक्षम है। बा. ब्र. सुनीता दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि इन वार्षिक उत्सवों से धर्म का प्रचार-प्रसार होता है और शोभायात्रा से वातावर्ण धार्मिक प्रभावना उत्पन्न होती है। आर. के. जैन ने वर्तमान कमेटी की प्रसंशा करते हुये उनके द्वारा किये गये कार्यों को गिनाया। मुकेश जैन ने कहा कि श्री जी की शोभा यात्रा एक विशेष उद्देश्य से निकाली जाती है, जिसमें श्रद्धालुओं की श्री जी के समान बनने की इच्छा प्रकट होती है। उन्होंने कहा कि रथ यात्रा, पद यात्रा एवं घट यात्रा (कलश यात्रा) से लोगों के जीवन को बहुत कुछ प्राप्त होता है। बूंद सागर में जाकर सीप बन जाती है उसी प्रकार संतों के शरण में आकर मनुष्य का जीवन भी उस बूंद की तरह सफल हो जाता है और वह भी एक कीमती मोती की तरह बन जाता है।
उन्होंने भविष्य में मंदिर कमेटी द्वारा भविष्य में कराये जाने वाले कार्यों की भी जानकारी दी। इसके पश्चात गजरथ यात्रा निकाली गई, जो कि मंदिर जी से निकल कर फव्वारा चौंक से होते हुये वापिस मंदिर जी में पहुँची। यात्रा में कई प्रकार की झाकियां, बैंड, नगाड़े, भजन मंडलीयां व नृत्य मंडलियों ने भाग लेकर रथ यात्रा की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम को सफल बनाने में आनंद प्रकाश जैन, नितिन जैन, दीपक जैन, संजीव जैन, रमन जैन, अनिल जैन, हिमांशु जैन, पं. शील चंद जैन, सुनील जैन, अंकुर जैन, विवेक जैन, विकास जैन, अंकित जैन व मनोज जैन आदि ने विशेष सहयोग दिया। कार्यक्रम में सहारनपुर, सरसावा, जगाधरी, बुडिय़ा, सढ़ोरा, अंबाला आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालुओं में भाग लिया तथा जैन समाज में पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों ने भाग लेकर धर्म लाभ उठाया।