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मांगों को लेकर हसला ने किया प्रदर्शन, SDM को सौंपा ज्ञापन

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मांगों को लेकर हसला ने किया प्रदर्शन, SDM को सौंपा ज्ञापन
यमुनानगर। हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) यमुनानगर की इकाई ने शिक्षा विभाग में गुणात्मक सुधार व अपनी चिरलंबित जायज मांगों को लेकर जगाधरी अनाज मंडी गेट पर लघु सचिवालय के सामने हसला प्रधान परमजीत सिंह संधू के नेतृत्व में जोरदार धरना प्रदर्शन किया और एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन देने से पूर्व हसला पदाधिकारियों और भारी तादाद में पहुँचे प्राध्यापक साथियों ने शिक्षा विभाग व सरकार के खिलाफ हुंकार भरी और बहुप्रतीक्षित लिखित-मौखिक मांगो व सुझावों की अनदेखी करने पर सरकार को जमकर कोसा।
हसला जिला प्रधान संधू व महासचिव शशिकांत चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि हसला की राज्य कार्यकारिणी की 29 जुलाई को कैथल में हुई बैठक में हसला प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक स्तर में सुधार और छात्रों व प्राध्यापकों के हितों को ध्यान में रखते हुए चंद तात्कालिक, पुरानी और नई जायज मांगों को भी अपने एजेंडा में शामिल करके उन्हें पूरा करवाने के लिए एक बड़े संघर्ष से पूर्व ज्ञापन सौंपने का फैसला लिया।
इसके तहत पहले चरण में 9 अगस्त, 17 अगस्त व 29 अगस्त को पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन करके उपमंडल स्तर पर एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाना था। लिहाजा संगठन के निर्णय के तहत आज सौंपे गए ज्ञापन में हसला सरकार से पांचवी और आठवीं कक्षा का बोर्ड बनाने, पुरानी पेंशन बहाल करने, पदोन्नति कोटा शत-प्रतिशत निर्धारित करने, ट्रांसफर ड्राइवर व रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया समयानुसार करने, नॉन-एचटेट व नॉन-बीएड वालों का गजट नोटिफिकेशन जारी करने, इंटरकॉलेज डिमांड, कॉलेज काडर में प्रमोशन का रास्ता खोलने, वेतन विसंगतियों को दूर करने, गैर-शैक्षणिक आदेशों पर रोक लगाने, समयानुसार पदोन्नति करने व रिक्त पदों को जल्द भरने, वाइस प्रिंसिपल का पद सृजित करने, प्राध्यापकों को पहला एसीपी ₹6000 देने, 2-टायर सिस्टम प्रणाली को लागू करने आदि की पुरजोर मांग करती है। हसला प्रेस सचिव मानिकटाहला नीरज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि इसके बाद दूसरे चरण में सितंबर माह में प्रदेश के तमाम विधायकों, सांसदों और चेयरमैन को मांग पत्र सौंपा जाएगा। तीसरे और अंतिम चरण में सितंबर माह में ही निर्धारित तिथियों पर मण्डल स्तर पर मांगपत्र सौंपकर सरकार को चेताया जाएगा। इतने पर भी अगर सरकार ढुलमुल रवैया अपनाती है तो तमाम प्राध्यापक अपने स्वाभिमान की इस लड़ाई के लिए संगठन के राज्यस्तरीय प्रारूप में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। इसी कड़ी में 1 नवंबर हरियाणा दिवस को हसला काला दिवस के रूप में मनाएगी। फिर 2 नवंबर को अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन शुरु कर दिया जाएगा जिसके लिए केवल प्रदेश सरकार जिम्मेवार व जवाबदेह होगी।