Home कृषि | किसान खेतों मेंं पुराली जलाने से कम हो जाती है आक्सीजन

खेतों मेंं पुराली जलाने से कम हो जाती है आक्सीजन

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यमुनानगर (रादौर)।  कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से गांव बहादुरपुर में ब्लॉक स्तरीय कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें 400 से अधिक किसानों ने भाग लिया। केन्द्रीय सैक्टर स्कीम हरियाणा की स्कीम के अनुसार फसल अवशेष जलाने की रोकथाम को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उपकृषि निदेशक डॉ सुरेन्द्र यादव ने कहा कि किसान खेतों में पुराली न जलाए। फसल अवशेष जलाने से किसान मित्रकीट मर जाते है। मिटटी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। पौषक तत्त्व नष्ट हो जाते है। पशु चारा नष्ट हो जाता है। जीवों में अस्थमा, दमा, सांस की खतरनाक बिमारियां पैदा हो जाती है। वातावरण दूषित हो जाता है। आक्सीजन की कमी हो जाती है। उन्होंने आहवान किया कि किसान फसल अवशेष न जलाकर कृषि यंत्रों द्वारा वैज्ञानिक तरीके से इनक ा प्रबंधन करें। उन्होंने बताया कि 25 जुलाई को सरस्वती नगर, 27 जुलाई को रादौर, 2 अगस्त को सढौरा, 8 अगस्त को छछरौली में खण्ड स्तरीय जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जा रहा है। किसान फसल अवशेषों का स्ट्रा रीपर से भूसा बनवाये, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रील मशीन से सीधी बिजाई कर सकते है। कम्बाईन हारवेस्टर एसएमएस सहित या रीपर बाईनडर से फसल काटने से नाम मात्र के ही फसल अवशेष बचते है। सभी फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। इस अवसर पर उपमंडल कृषि अधिकारी जगाधरी  सचिन कु मार खण्ड तकनीकि प्रबंधक, मोहित राणा उन्हेडी, विरेन्द्र कुमार, राजेन्द्र कुमार, सरपंच विजय कुमार आदि उपस्थित थे।