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योग का सरल अर्थ है ‘‘आत्मा का परमात्मा से मिलन’’

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योग का सरल अर्थ है ‘‘आत्मा का परमात्मा से मिलन’’
आर्य समाज, माॅडल टाऊन, में चार दिवसीय वैदिक योग-साधना शिविर का समापन
यमुनानगर। आर्य समाज माॅडल टाऊन, यमुनानगर ने 4 दिवसीय वैदिक योग-साधना का आयोजन  13 सितम्बर से 16 सितम्बर तक  प्रांगण में किया। श्रद्धेय ब्रह्मनिष्ठ योगी केवलानन्द जी ने शिविर के सात सत्रों में विस्तार पूर्वक बताया कि योग वास्तव में क्या है। योग का सरल सा अर्थ है ‘‘आत्मा का परमात्मा से मिलन’’ यह मिलन केवल और केवल हृदय-आकाश में ही हो सकता है जहाँ आत्मा के भीतर ही परमात्मा विराजमान है। अपने जीवन के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महर्षि पतंजली द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग ही सरल, सटीक और वैदिक विधि है। इसके पहले दो सोपान यम व नियम हैं। यम के अन्तर्गत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह आते हैं। नियम के अन्तर्गत शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर-प्रणिधान हैं। अष्टांग योग की अन्तिम सीढ़ियों ध्यान और समाधि तक पहुँचने के लिए, यम और नियम का पालन करना अति महत्त्वपूर्ण है। स्वामी जी ने कहा यदि हम भली-भांति जान लें और मान लें कि प्रत्येक प्राणी के भीतर हमारी तरह ही ‘ब्रह्म-रूपी माँ’’ बैठी हुई है तो क्या भूल कर भी हम किसी के साथ हिंसा करेंगें, झूठ बोलेंगे, किसी की वस्तु की चोरी करेंगें आदि-आदि। कदापि नहीं। बस यहीं से हमारी आन्तरिक यात्रा आरम्भ हो जायेगी।
शिविर के समापन समारोह में ब्रह्मनिष्ठ स्वामी जी का धन्यवाद करते हुए रमेश पहुजा प्रधाने ने बताया कि कैसे इतने कम समय में स्वामी जी ने योग दर्शन के सूत्रों के द्वारा चित की पाँच अवस्थाओं पाँच वृत्तियों, पाँच क्लेशों और अष्टांग योग आदि-आदि का क्रियात्मक मार्गदर्शन किया। सभी साधकों को रमेश पाहुजा ने बताया यदि अन्त में लौटना इसी मार्ग की ओर है जो फिर देरी काहे की? इसके उपरान्त उन्होंने विभिन्न आर्य समाजों से आए हुए सभी आर्य-जन, नगर के सभी श्रद्धालु साधकों, प्रैस के प्रतिनिधियों विशेषकर श्री ओम प्रकाश पाहवा का सहृदय धन्यवाद किया और इस शिविर को सफल बनाने के लिए आभार प्रकट किया। मंच का संचालन यश वर्मा, मन्त्री ने किया। कार्यक्रम के पश्चात् जलपान का विशेष प्रबन्ध था। इस समारोह में साधकों ने विशेषकर रमेश पाहुजा प्रधान, राजीव अजमानी, राजपाल आर्य, यश वर्मा मन्त्री, बलराज अरोड़ा, सुदेश चड्डा, साधना अग्रवाल मन्त्राणी, डाॅ0 विक्रम भारती, ओ.पी. मनचन्दा, रमेश बुद्धिराजा, सन्त ज्ञानेश्वर राजीव दीवान, मित्र सैन चुगानी आदि ने भाग लिया।