Home धर्म | समाज करेड़ा खुर्द में श्रीराम लीला की स्वर्ण जयंती की शुरूआत

करेड़ा खुर्द में श्रीराम लीला की स्वर्ण जयंती की शुरूआत

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यमुनानगर। श्रीराम कला मंदिर के सौजन्य से गांव करेड़ा खुर्द में रामलीला स्थल पर इस वर्ष श्रीराम लीला की स्वर्ण जयंती की शुरूआत की गई जिसका शुभारंभ शनिवार रात यमुनानगर विधायक घनश्यामदास अरोड़ा ने किया। उपस्थित दर्शकों को संबोधित करते हुए अरोड़ा ने कहा कि प्रभु श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। हमें दशरथ-सुत के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। वर्तमान समय में सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों की मिठास दिनोंदिन क्षीण होती जा रही है। इसलिए यह जरूरी भी हो जाता है कि रामलीला की पावन कथा के माध्यम से भावी पीढ़ी को आदर्श रिश्तों की अहमियत समझाई जाए। इस दौरान मुख्यातिथि को क्लब द्वारा स्मृति चिन्ह के रूप में श्रीराम परिवार की प्रतिमा भेंट कर सम्मानित किया गया। विधायक अरोड़ा ने ₹51000 श्रीराम कला मंदिर को भेंट किए। इस मौके पर क्लब प्रधान अशोक मानिकटाहला ने बताया कि गांव करेड़ा खुर्द में रामलीला मंचन का आयोजन श्रीराम कला मंदिर के बैनर तले वर्ष 1969 से हो रहा है। इस रामलीला में हर धर्म व हर जाति के कलाकार अपनी कला का बेजोड़ प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। मंचन से पूर्व भगवान गणेश की मनमोहक झांकी पेश की गई। आज प्रथम दिवस रामायण के मंचन में कलाकारों ने पितृभक्त श्रवण कुमार का ऐसा मंचन किया जिसमें दर्शक डूबते ही चले गए।
        कलाकारों ने मनभावन अभिनय के द्वारा दर्शाया कि श्रवण कुमार माता-पिता को काँवड़ में बैठाकर तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़ता है। मार्ग में माता-पिता को प्यास लगती है। अपने माता-पिता को प्यासा देखकर श्रवण सरयू नदी से जल लेने के लिए जाता है। पानी की आवाज सुनकर शिकार पर निकले प्रतापी राजा दशरथ जंगली जानवर समझ कर अपने तीर से उस पर वार कर देते हैं। जिससे पितृभक्त श्रवण कुमार की मृत्यु हो जाती है। श्रवण की असामयिक मृत्यु की सूचना मिलते ही पुत्र वियोग में श्रवण के वृद्ध माता-पिता बिलखते हुए दशरथ को शाप देते हुए कहते हैं कि जिस तरह से हम पुत्र वियोग में तड़प रहे हैं उसी प्रकार एक दिन तू भी पुत्र वियोग में ऐसे ही तड़पेगा और रोएगा। इस करुणामय अभिनय को देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गई। लीला के पश्चात् सह-डायरेक्टर पारस मानिकटाहला की ओर से सभी कलाकारों के लिए रात्रि भोज की सेवा दी गई। श्रवण कुमार का रोल अशोक सैनी, दशरथ का मदन शर्मा, शांतवन का योगेश ग्रोवर और ज्ञानवती का रोल पंकज ने बखूबी निभाया। इस मौके पर चीफ एडवाइजर अनिल शर्मा, प्रधान अशोक मानिकटाहला, डायरेक्टर मदन शर्मा, खजांची महेंद्र सिंह मक्कड़, सुरेंद्र शर्मा, मंगा मक्कड़, रोहित शर्मा, नीरज, चैतन्य मानिकटाहला, शिव शंकर आदि का मंचन में खास सहयोग रहा।