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मन को संयमित करती है ब्रह्मज्ञान की साधना …..

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मन को संयमित करती है ब्रह्मज्ञान की साधना …..
यमुनानगर। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान हनुमान गेट स्थित आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन हुआ ।साध्वी सुश्री भारती अपने प्रवचनों में कहा कि हमारा मन एक ऐसी शक्ति है जो हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है।हमारे मन की सकारात्मकता हमारे जीवन को पवित्र व निर्मल बना देती है। लेकिन अगर हमारे मन में दूषित विचार आ जाएँ तो हमारे पूरे जीवन को ही दूषित कर देते हैं। जीवन को संयमित करने के लिए मन को संयमित करना जरूरी है। मन को संयमित करने के लिए आज इंसान बहुत प्रयास करता है। योग, प्राणायाम इत्यादि कई साधन भी बताए जाते हैं मन को साधने के लेकिन ये सब साधन कुछ समय के लिए ही प्रभावित हैं। जब मन पर विचार हावी होते हैं तो वह ज्यादा देर तक संयम को धारण नहीं कर सकता और विचलित हो जाता है। हमारे मन को सदा के लिए दिव्यता प्रदान करने वाला एकमात्र साधन ब्रह्मज्ञान है। जब पूर्ण गुरू सत्ता हमारे भीतर उस ब्राह्मज्ञान को प्रकट कर देती है तो हमारा मन स्वयं ही उस दिव्यता और पवित्रता को प्राप्त कर लेता है जो हमारे जीवन का सही मार्गदर्शन करती है। मन को आधार मिल जाता है स्वयं को जानने का। ब्रह्यज्ञान की साधना करते करते हमारे मन में विचारों का प्रवाह नियंत्रित हो जाता है अौर वह हर कदम पर हमें सही मार्ग दिखाता है।अक्सर हमारा यह मत होता है कि मन तो कभी किसी के वश में नहीं आता लेकिन यह मान्यता बिल्कुल निराधार है क्योकि हम बिना किसी प्रयास के तो कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते ,पानी का वाष्प रूप देखने के लिए हमें पानी को उबालना होगा। इसी तरह जब मन भी साधना की अग्नि में तपेगा तो उसका वह दिव्य रूप हमारे सामने आएगा जो शांत व संयमित होगा। निरंतर गुरू आज्ञा में रहते हुए जब हम साधना में खुद को साध लेंगे तो हमारा मन अनायास ही सध जाएगा। इन प्रवचनों के अंत में साध्वी बहन जी ने सारी संगत को मधुर भजन संकीर्तन से कृतार्थ किया।।